how to make match, माचिस की तीली कैसे बनाई जाती है?
माचिस की तीली |
क्या आपने कभी ये सोचा है की आखिर दिया सलाई कैसे बनता होगा अगर आपने नही सोचा तो कोई बात नहीं हमने आपको Cover कर लिया है क्योंकि यहाँ पर आपको पता चलने वाला है की आखिर सलाई की तीली कैसे बनता है?
1. First Idea
दरअसल दियासलाई मोम लगे कागज या दफ्ती से बनाई जाती है। यानी की पहले कागज के टुकड़े को Round-Round मोड़ा जाता है और फिर उसके बाद इसे मोम के तरल पदार्थ मे डुबोया जाता है। जिससे इसके चारो तरफ मोम की परत चढ़ जाता है।
2. Second Idea
सलाई की तीली बनाने के लिए लकड़ी का use किया जाता है। क्यो की आप लोगों ने तो देखे ही होंगे की आज कल लकड़ी की ही तिलिया आती हैं स्लाई मे । इसे बनाने के लिए पहले लकड़ी के छोटे छोटे टुकड़े मे काटा जाता हैं फिर
इनके एक सिरे पर कुछ जलने वाले पदार्थों का मिश्रण लगाया जाता है। दियासलाई का निर्माण जॉन वॉल्कर ने 1827 में किया था। इसे लकड़ी के टुकड़े पर गोंद, स्टार्च, एंटीमनी सल्फाइड, पोटैशियम क्लोरेट लगाकर बनाया गया था। पर यह सुरक्षित नहीं थी। इसलिए
सुरक्षित दियासलाई 1844 में स्वीडन के ई। पोश्च द्वारा बनाई गई थी। आज दियासलाई मुख्य रूप से दो तरह की होती है। पहले तरह की माचिस को घर्षण माचिस कहते हैं। इसे किसी खुरदुरी सतह पर रगड़कर आग पैदा की जा सकती है। सबसे पहले लकड़ी की तीली के एक-चौथाई भाग को पिघले हुए मोम या गंधक में डुबोया जाता है। फिर उस पर फॉस्फोरस ट्राइसल्फाइड का मिश्रण लगाया जाता है। उसके ऊपर एंटीमनी ट्राइसल्फाइड और पोटेशियम क्लोरेट का मिश्रण लगाया जाता है।
ताकि घर्षण हो, और उसके बाद इसके लिए इस मिश्रण में कांच का चूरा या बालू मिला दिया जाता है। जब तक सफेद हिस्सा नहीं रगड़ा जाए तब तक आग न पकड़े, तब नीला हिस्सा नहीं जलता। इसी पदार्थ द्वारा तीली के दूसरे हिस्सों में भी आग पहुंचती है।
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