झूठ पकड़ने वाली मशीन कैसे काम करती है | Lie Detector Machine
![]() |
Lie Detector Machine |
पॉलीग्राफ टेस्टिंग लाई डिटेक्टर टेस्ट मशीन
Hello दोस्तों क्या आपलोग भी झूठ बोलते हैं तो अब सुधर जाइये क्योकि दुनिया Advance हो गयी है आज कल झुठ पकड़ने वाला मशीन बनाया जा चुका है।
आपको बता दे की झूठ पकड़ने वाली मशीन को पॉलीग्राफ़ कहते हैं। इसका आविष्कार सन 1921 में ही हो गया था इसका आविष्कार कैलिफ़ोर्निया विश्वविद्यालय में चिकित्सा के एक छात्र जॉन लारसन ने किया था और आपको बता दे कि सन् 1924 से ही पुलिस इसका इस्तेमाल पूछताछ में प्रयोग करती आ रही है।
![]() |
Lie Detector Machine |
इसमें झूठ सच बोलने वाले व्यक्ति को एक कुर्सी पर बैठाया जाता है और कई नलियां और तार उसके शरीर के निश्चित ( विभिन्न ) भागों पर लगाए जाते हैं जो शारीरिक गतिविधियों का निरीक्षण करते हैं।
![]() |
Lie Detector Machine |
क्या होता है टेस्ट का आधार :-
फिर उससे कई तरह के सवाल पूछे जाते हैं। ये माना जाता है कि जब व्यक्ति झूठ बोलता है तो उसके शरीर में कुछ अलग ही परिवर्तन होता हैं। तो इसी का फायदा पुलिस वाले उठाते है पॉलीग्राफ़ के ज़रिए व्यक्ति की सांस, रक्तचाप, नाड़ी और पसीने में आए इसी परिवर्तन को नोट किया जाता है और बाद में पॉलीग्राफ़ के आंकड़ों का विश्लेषण किया जाता है।
![]() |
Lie Detector Machine |
कैसे काम करता है लाई डिटेक्टर मशीन :-
क्या है टेस्ट की प्रक्रिया- पॉलीग्राफ या लाई डिटेक्टर टेस्ट के दौरान विशेषज्ञ पहले आसान प्रश्न पूछते हैं. ये ऐसे प्रश्न होते हैं, जिसका उत्तर आदमी सच ही देता है. जैसे-जैसे समय बीतता है, विशेषज्ञ कठिन प्रश्न पूछने लगते हैं. कठिन प्रश्नों के जवाब देने के दौरान की गतिविधियों से ही सच्चाई के करीब पहुंचने में मदद मिलती है।
![]() |
Lie Detector Machine |
कितना सच्चाई है इस मशीन मे :-
क्या लगता हैं आपको ये कितना विश्वसनीय है यह टेस्ट- पॉलीग्राफ टेस्ट को अंतिम सत्य नहीं माना जाता है। रिसर्च से यह बात सामने आयी है कि पेशेवर अपराधी अपने अभ्यास के जरिए इस टेस्ट से बच निकलते हैं।
सो आपको ये जानकारी कैसा लगा comment करके जरूर बताइयेगा।
Thank you for Reading this article
1 comment